जैसे ही दिवाली का त्योहार नज़दीक आता है, हर दिन का अपने-अपने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। इनमें से एक पवित्र दिन है छोटी दिवाली 2025, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। यह अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। Astromadhupriya के अनुसार, यह शुभ अवसर शक्तिशाली खगोलीय तरंगें लाता है, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सही मुहूर्त में मनाया जाए तो समृद्धि को आकर्षित करता है।

छोटी दिवाली 2025 कब है?
छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी 2025 में रविवार, 19 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी, जो मुख्य दिवाली से एक दिन पहले है।
यह पवित्र दिन कर्क मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर पड़ता है, जो अभ्यंग स्नान, दीप दान और यम दीपम करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- नरक चतुर्दशी 2025 मुहूर्त और तिथि
- नरक चतुर्दशी प्रारंभ: 18 अक्टूबर 2025 – 10:58 बजे रात
- नरक चतुर्दशी तिथि समाप्त: 19 अक्टूबर 2025 – 09:12 बजे रात
- अभ्यंग स्नान मुहूर्त: 04:59 बजे – 06:20 बजे सुबह (19 अक्टूबर 2025)
- यम दीपम समय: सूर्यास्त के बाद यम दीपम तक (लगभग 5:55 बजे – 7:10 बजे शाम)
Astromadhupriya के अनुसार, इन पवित्र समयों में पूजा करने से सुरक्षा बढ़ती है, कर्म संबंधी अड़चनें दूर होती हैं और घर में दिव्य आशीर्वाद आता है।
छोटी दिवाली पर अभ्यंग स्नान का महत्व
- अभ्यंग स्नान या पवित्र तेल स्नान नरक चतुर्दशी का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। ऐसा माना जाता है कि सूर्योदय से पहले स्नान करने से पाप और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है तथा शरीर और आत्मा शुद्ध होती है।
- मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था, जो अंधकार के अंत का प्रतीक है। इसलिए भक्त सुबह में तिल का तेल और गोबर की बटी से स्नान करते हैं, जो बुरी शक्तियों के शुद्धिकरण का स्मरण करता है।
Astromadhupriya का सुझाव:
“अभ्यंग स्नान के तेल में चंदन या हल्दी की कुछ बूँदें डालने से सकारात्मकता और आध्यात्मिक जागरण बढ़ता है।”
यम दीपम की दिव्य परंपरा
छोटी दिवाली की शाम को, भक्त यम दीप जलाते हैं – यह दीपक मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर दक्षिण की दिशा में रखा जाता है और भगवान यम, मृत्यु के देवता, को समर्पित होता है।
कहते हैं कि यह दीपक जलाने से समयपूर्व मृत्यु से बचाव होता है और लंबी आयु और समृद्धि सुनिश्चित होती है।
Astromadhupriya के ज्योतिषीय मार्गदर्शन के अनुसार, यम दीपम में तिल के तेल से पाँच दीपक जलाने से स्वास्थ्य, आध्यात्मिक शक्ति और पूर्वजों के आशीर्वाद का मार्ग खुलता है।
आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व
- नरक चतुर्दशी पर भगवान यम और मंगल का शासन होता है, जो साहस, अनुशासन और सुरक्षा का प्रतीक हैं।
- इस अवधि में पूजा करने से व्यक्ति का मूलाधार चक्र मजबूत होता है, जो भावनाओं और ऊर्जा प्रवाह को स्थिर करता है।
- शाम में दीपक दान करने से आंतरिक शांति मिलती है और व्यक्तिगत व वित्तीय जीवन में बाधाएं दूर होती हैं।
- “दीप जलाओ, आत्मा को जागृत करो – इस छोटी दिवाली, अपनी रोशनी से अंधकार को जीतो।”
छोटी दिवाली 2025 पर करने योग्य अनुष्ठान
- ब्रह्म मुहूर्त में अभ्यंग स्नान करें।
- भगवान कृष्ण और देवी काली से सुरक्षा और शक्ति की प्रार्थना करें।
- सूर्यास्त के बाद, दक्षिण दिशा में यम दीप जलाएं।
- अपने घर को दीपक और रंगोली से सजाएं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित हो।
नरक चतुर्दशी मंत्र:
“ॐ यमाय नमः” – सुरक्षा और लंबी आयु के लिए।
यदि आप स्वास्थ्य या संबंधों से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और भगवान हनुमान की पूजा करें। यह अनुष्ठान ग्रहों की ऊर्जा के साथ सामंजस्य बनाता है, खासकर यदि आपके जन्मकुंडली में मंगल या शनि अशुभ हों।
निष्कर्ष: अपने भीतर की रोशनी अपनाएं
छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी केवल दीपक जलाने का पर्व नहीं है – यह आपकी चेतना को प्रकाशित करने का अवसर है। सही मुहूर्त और पवित्र अनुष्ठान करके, आप दिव्य ऊर्जा को जागृत करते हैं जो नकारात्मकता को दूर करती है और समृद्धि आमंत्रित करती है।
इस छोटी दिवाली, ज्योतिष की शक्ति से अपने मार्ग को प्रकाश और समृद्धि की ओर निर्देशित करें।
Astromadhupriya से अपने व्यक्तिगत दिवाली पूजा मुहूर्त और ग्रह निवारक उपाय जानें, जिससे स्वास्थ्य, धन और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त हों।
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