सनातन ऋषियों ने जल स्रोतों पर खगोलीय पिंडों के द्वारा ऊर्जा के अवशोषण और विकिरण के प्रभाव की गणना के आधार पर कुंभ ,अर्ध कुंभ ,और महाकुंभ देव गुरु वृहस्पति के १२ राशियो के घूर्णन के पथ के आधार पर किया ।
कुंभ १२ वर्षों में १ बार होता है वही अर्ध कुंभ ६ वर्षों में और महाकुंभ १४४ वर्षों में आता है ।
कुंभ, देव गुरु वृहस्पति और सूर्य के ऊर्जा उत्सव के रूप में मनाया जाता है ,देवगुरु वृहस्पति जब कुंभ राशि में विचरण करते है ,और ग्रहों के राजा सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में होते है ! तो कुंभ का ऊर्जा के श्रोत का विसर्जन सबसे ज़्यादा हरिद्वार के गंगा में होता है ।
वही जब सूर्य और वृहस्पति कुंभ से सप्तम सिंह राशि में गोचर करते हुए सबसे ज़्यादा ऊर्जा का उत्सर्जन करते है तो इसके विकिरण का मुख्य केंद्र कुंभ राशि होता है तब नासिक में गोदावरी नदी पर इसका प्रभाव सबसे ज़्यादा होता है ।
मान्याता के अनुसार ग्रहों के विशेष कोणीय अवस्था के कारण नदियो के जल में औषधीय प्रभाव के कारण विशेष ग्रहीय स्थिति में स्नान करने से अमृलय फल की प्राप्ति होती है ।
ऐसे ही सूर्य मेष राशि में और वृहस्पति सिंह में हो तो मेष राशि को सबसे अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है तब उज्जैन के शिप्रा नदी के स्थान पर कुंभ का आयोजन होता है ।वृष राशि में वृहस्पति और सूर्य का गोचर जब मकर राशि में होता है तब जो कुंभ लगता है वो मकर राशि के सूर्य पर वृहस्पति के दृष्टि क्षेत्र में आ जाने के कारण प्रयाग राज में इस महान पर्व का आयोजन होता है और इस बार १४४ वर्षों के बाद महाकुंभ २१ तारीख़ से ७ ग्रह आ रहे है एक ही कतार में जिसके वजह से ये महाकुंभ, अमृत महाकुंभ की श्रेणी में आ गया है ।
बुध शनि शुक्र गुरु मंगल नैपचून यूरेनस जनवरी से एक सीध में रहेंगे जिनका व्यापक प्रभाव देश दुनिया और राशियो पर पड़ेगा । एसा दुर्लभ सयोग १९६२ में हुआ था और भविष्य में २०५० में होगा ।
28 फरवरी तक ये सारे ग्रह एक सीध में आ जाएगे ये संयोग एक अद्भुत अवसर है जिसे हमें समझने और इसका अधिकतम लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए। चाहे आप ज्योतिष के प्रति आस्थावान हों या न हों, इस समय का उपयोग आत्मनिर्माण और मानसिक शांति के लिए करना बेहद लाभकारी हो सकता है। यह समय बदलाव, नये अवसरों और समृद्धि की ओर एक कदम बढ़ाने का हो सकता है।
अगर आकाश में देखा जाए तो ये ७ ग्रह दक्षिण-पश्चिम से पूर्व के ओर देखे जा सकते है अर्थात मकर कुंभ मीन मेष वृष मिथुन राशि क्षेत्र में ।
इन ग्रहों द्वारा ऊर्जा का प्रवर्तन सबसे ज़्यादा कर्क सिंह कन्या वृश्चिक राशियो पर पड़ेगा ।
रूस एवम यूक्रेन के बीच युद्ध मंगल के २१ जनवरी को मिथुन राशि में प्रवेश करते ही ४ अप्रेल तक बढ़ जाने के पूर्ण संभावना है । भारत के भी पड़ोसी राष्ट्रों के साथ बाद विवाद के स्थिति बढ़ेगी पर शुभ संकेत ये है कि विश्व आर्थव्यवस्था में तेजी आएगी ।
वही कुंभ स्नान से लाभान्वित होने वाले जातको को इन ग्रहीय ऊर्जा के भंडार से रोग मुक्ति एवम जीवन के प्रति नये दृष्टिकोण की वृद्धि होगी ।
देश में आध्यात्मिकता के क्षेत्र में नये तथा अनुसंधान में तेजी आएगी ।
मकर और मिथुन राशि वाले जातको को मई २०२५ के पहले अच्छी पद प्रतिष्ठा सम्मान प्राप्त होने का योग बन रहा है । शनिवार मौनीअमावस्या के दिन कुंभ स्नान विशेष फलदायी रहेगा ।
वृश्चिक और मेष राशि वाले जातको के लिए सप्तग्रही योग प्रॉपर्टी और धनलाभ का विशेष योग लेकर आ रहा है वसंत पंचमी के दिन कुंभ या गंगा स्नान से सभी मनोकामना पूरी होगी ।
सिंह एवम कर्क राशि वाले जातको को माघी पूर्णिमा के दिन स्नान जरूर करना चाहिय ।इस दिन स्नान से स्वास्थ्य और काम दोनों के लाभ निश्चित है ।
कन्या कुंभ और मीन राशि वालो के लिए महाशिवरात्रि के दिन स्नान करने से धनलाभ शत्रु बाधा से मुक्ति मृत्यु समान कष्ट से छुटकारा एवम पराशक्तियों का आशीर्वाद के प्राप्ति होगी ।
ज्योतिष विशेषज्ञा डॉ मधु प्रिया प्रसाद
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